vastu of bedroom

vastu of bedroom

वास्तु का मुख्य आधार भवन के अंदर आकाश का वैज्ञानिक नक्शा है, जिसमे हम रहते है, कार्य करते है, और अपने ज़ीवन की बाकी गतिविधियों को पुरा करते है। किसी भी भवन मे 45 मुख्य ऊर्ज़ाएं होती है इन ऊर्जाओं का विस्तार से वेदों मे बताया गया है। सभी ऊर्जाओं के पास अपनी-अपनी शक्ति है। इन शक्तिओं का हमारे भवन मे अपना-अपना मुख्य स्थान है। अगर हमारे ज़ीवन मे ये सभी शक्तियां अपने स्थान मे सही रुप से विराज़मान है तो भवन मे रहने वालो को अपने जीवन मे कठिनाईओं का सामना नही करना पड़ता हम अपने लक्ष्यों को पुरा करने के लिए या अपने जीवन मे आई समस्याओं को सुलझाने के लिए वास्तु शास्त्र मे इन्हीं ऊर्जाओं का उपयोग करते है। इन्हीं ऊर्जाओं का जो देवताओं के रुप मे विधमान रहती है, उनका सही रुप से व्यवस्थित होना घर को नकारात्मकता से दूर करता है और समस्याओं को रोकता है। वास्तु का अर्थ यह नही की रसोई कहाँ है, स्नान घर कहाँ है, शयन कक्ष कहाँ है, सही अर्थ तो यह है, की भवन मे इन 45 ऊर्जाओं को अपनी सही शक्ति स्वरुप मे विधमान करना। जैसे अग्नि देवता की जगह अगर जल को जगह दे या जल की जगह अग्नि को जगह दे तो अव्यवस्था बन जाएगी। जिस प्रकृति का जो देवता है, उसी के अनुसार भवन मे व्यवस्था की जानी चाहिए, इन्हीं बातों का वास्तु मे ध्यान रखा जाता है। आपने कभी महसूस किया होगा किसी के घर जा कर एक सकून सकारात्मकता और प्रसन्नता मिलती है, और वहीं किसी के घर जा कर अजीब सी बैचेनी, आवेग, चिंता, नकारात्मकता और उदासी महसूस होती है। ये भवन मे विराज़मान वही ऊर्जाओं का असर है जो हमे ये सब अहसास करवाती है. इनका सही रुप मे विराज़मान होना ही घर का वास्तु सही होना है। वास्तु मे हर दिशा अपने मे महत्वपुर्ण है. वास्तु पुरुष जो हमारे पुरे घर मे विराज़मान रहता है, इसी वास्तु पुरुष पर ही ये सारी शक्तियां विराज़मान है। उसकी स्थिति के अनुसार ही हम अपने भवन मे कमरों का निर्माण करते है। जैसे ईशान कोण मे वास्तु पुरुष का मुख है, इसलिए इसे खुला रखना चाहिए। यहाँ भारी या गन्दा रखने से घर मे रहने वाले का दम घुटने लगता है। वास्तु पुरुष का मुख ईशान की तरफ होने से इस ज़गह को खुला, हल्का व साफ सुथरा रखना चाहिए। नहीं तो भवन मे रह्ने वालों को माईग्रेन, अवसाद, सिर दर्द, आँखों मे परेशानी, बैचेनी, घुटन आदि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अगर हम जीवन के उत्सव का आन्नद नही ले पाते तो इसका अर्थ है कि हम जिस वातावरण मे रहते या काम करते है, वह हमारे मन या जीवन मे कोई न कोई बाधा या रुकावट की वज़ह बन रहा है, इन्हीं तत्वों को समझना वास्तु का सही आधार होता है।