vastu in detail

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भवन मे मुख्य रुप से दस दिशा होती है हर दिशा अपने ही गुणो व स्वभाव के अनुसार कार्य करती है और हर दिशा एक निश्चिंत कार्य के लिए बनाई गई है, उसी अनुसार हम भवन का निर्माण करते है। पुजा घर - हमारे भवन मे सबसे पवित्र स्थान पूजा का स्थान है जहाँ कुछ देर के लिए शांति का अनुभव करते है। जिसके लिए सबसे उत्तम दिशाएं ईशान, उत्तर या पुर्व है। दक्षिण व नैत्रृत्य मे न बनाएं। पुजा घर के आमने-सामने, उपर-नीचे शौचस्थान नही होना चहिए। छोटा सा बाजार से मंदिर लाते है तो उसकी छत पिरामिड आकार की हो। शयन कक्ष मे भी पुजाघर न बनाएं। भारी धार्मिक पुस्तकें दक्षिण, पक्षिम या नैत्रृत्य मे रखे। मुर्तियां शुद्ध धातु, पवित्र लकड़ी या शुद्ध पत्थर की बनी होनी चाहिए। पुजाघर का द्वार शुद्ध लकडी‌ का बना हो। दीवारों पर सफेद, हल्का पीला, क्रीम या हल्का नीला रंग शुभ रहता है। हवन करने के लिए आग्नेय दिशा उपयुक्त रह्ती है। आसन कुशा या कम्बल का शुभ माना जाता है। शयन कक्ष - दिन भर के भाग-दौड़ के बाद जब आरमदायक शयन-कक्ष मिल जाए तो सारी थकान दुर हो जाती है। नैऋत्य, दक्षिण व पक्षिम दिशा शयन कक्ष के लिए उपयुक्त रहती है। गहरी नींद लेने के लिए शांत वातावरण होना चाहिए। सोने के कमरे मे सुबह ताज़ी हवा व रोशनी का आना जरुरी होता है। जो स्फुर्तिदायक होती है। पलंग लकडी‌ का हो किसी और धातु का इस्तेमाल न करे। पलंग दीवारों से न लगा हो न ही दरवाजो या खिड़्कियो के सामने हो। गहरी नींद के लिए दक्षिण दिशा उपयुक्त रहती है। पलंग के सामने टेलीविज़न या दर्पण न रखे। दीवारों पर गुलाबी, नीला, हरा रंग करे। रसोई घर - स्वादिष्ट भोजन के लिए रसोई घर का सही दिशा मे होना बहुत जरुरी है। घर की स्त्रियां अपना अधिकतर समय यहीं व्यतीत करती है। आग्नेय दिशा रसोई घर के लिए उपयुक्त मानी जाती है। जहाँ सम्पुर्ण रुप से उर्जा का संचार रहता है। अन्य जगह वायव्य, पुर्व व दक्षिण दिशा है। ईशान या नैऋत्य मे कभी भी न बनाए। आर-पार हवा के लिए खिड‌कियां होनी चाहिए। रसोई घर के ऊपर शौचालय न बनाए न ही दरवाज़े के सामने शयन कक्ष या सीढियां हो। चुल्हे पर काम करते हुए व्यक्ति के एकदम पीछे दरवाजा न हो। चुल्हा व पानी की सिंक पास पास न हो। खाना बनाने वाले का मुख पुर्व की ओर होना चाहिए। दीवारो पर पीला, नारंगी व गुलाबी रंग शुभ रहता है। अध्ययन कक्ष - अध्ययन के लिए गहन एकाग्रता की ज़रुरत होती है जिसके लिए पश्चिम दिशा उपयुक्त रहती है। उत्तर, पुर्वी व ईशान दिशा भी सर्वोत्तम है। किताबो की अलमारी को पुर्व य पक्षिम दिशा मे व्यवस्थित कर रखे, तभी पढाई मे ध्यान लगेगा। ईशान मे एक पानी का बर्तन रखे। पढ्ते समय मुख उत्तर या पुर्व की ओर रखे। दीवारो पर हल्का हरा, नीला, क्रीम, सफेद या पीला रंग करे।